Monday 2 September 2013


तिनके - तिनके समेट 
बुन रही अपना 
आशियाना 
सबसे ऊँची डाल तलाशी 
हो न जाये कहीं 
बैरी का निशाना 
अरमां कई पाल रही 
सपनों से घर सजा रही 
आसमां के उड़नखटोले पर 
जीवन अपना उतार रही 
परिवार अपना बनाना 
हर बुराई से उसको बचाना 
करना है कठिन जतन 
अपने बच्चो को आदर्श बनाना 
यूँ बुनूंगी हर रेशा घास का 
मेरे लाड़ की 
गर्माहट उसमें समाएगी 
हर मौसम से मेरे 
घरोंदे की दीवारें 
बच जायेंगी 
है पता हर मंशा का मुझे 
सोच समझ कर 
बढ़ना है मुझे 
अपनों का ख्याल 
पहले है मुझे 
अपना आशियाना 
करना सुरक्षित है मुझे...

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