मन के आकाश पर शब्द पंछियों सी उड़ान भरा करते है और अपनी चहचाहट से शब्दों के मायने बढ़ा देते है जिसका ज़िक्र लिखने वाले हाथों से कहीं ज्यादा पढ़ने वाली नज़रें करती है....ऐसे ही शब्दों के पंछियों संग... कुछ मेरी बात ....
Monday 9 September 2013
हँस भी सकते है रो भी सकते है ये देश का मामला है आप गा गा के मांग भी सकते है ......
No comments:
Post a Comment