बदल गये
शब्द
कागज पर
गिर कर
मन में
थे तो
शांत बहुत थे
ज़मी
मिली जो
लगे भड़कने
विद्रोह के कोर
लगे फांकने
मतलब समझू तो
बेमतलब है ये
यूँही मानूं
तो मेरे है ये
सोच को थामूं
जो मन बहके
दिल की सुनूं तो
तन महके
उफ़...!!!
ये शब्द....
शब्द ही रहो
न बनो मतलब किसी का
तू नहीं मतलबी
तू है सभी का…….
शब्द
कागज पर
गिर कर
मन में
थे तो
शांत बहुत थे
ज़मी
मिली जो
लगे भड़कने
विद्रोह के कोर
लगे फांकने
मतलब समझू तो
बेमतलब है ये
यूँही मानूं
तो मेरे है ये
सोच को थामूं
जो मन बहके
दिल की सुनूं तो
तन महके
उफ़...!!!
ये शब्द....
शब्द ही रहो
न बनो मतलब किसी का
तू नहीं मतलबी
तू है सभी का…….
No comments:
Post a Comment