Monday 16 September 2013

बदल गये
शब्द
कागज पर
गिर कर
मन में
थे तो
शांत बहुत थे
ज़मी
मिली जो
लगे भड़कने
विद्रोह के कोर
लगे फांकने
मतलब समझू तो
बेमतलब है ये
यूँही मानूं
तो मेरे है ये
सोच को थामूं
जो मन बहके
दिल की सुनूं तो
तन महके
उफ़...!!!
ये शब्द....
शब्द ही रहो
न बनो मतलब किसी का
तू नहीं मतलबी
तू है सभी का…….

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