तकते हो क्या तुम
चेहरे की तामीर को
देख सकते नहीं यूँ
वफा की तस्वीर को
इबादत हुस्न की क्या
हुआ जो तुमने की
भूल जाओगे बस
कुछ रोज़ में इस बात को
लरजते लबो की आरजू
दिल में छुपाये हो
भूले हो क्या अपने
अहम के ख्याल को
इतराते ख्यालों से
जो तुम मदहोश हो
बेवजह की बात है
खोलो बंद आँख को
इक रोज़ इल्म की
राह में जब तुम खड़े हो
ख्याल करना अपने
हर चुभते हर्फ़ को
लायी गर कभी जो
सच्ची भावना मन में
सोच कर उस पल के
सुखद भाव को
गिरा लेना अपने
ओहदे की दीवार को
लानत भेजो महंगे
ऐशो आराम को
रखो अरमां बनाये
तुमको नायाब जो
चेहरे की तामीर को
देख सकते नहीं यूँ
वफा की तस्वीर को
इबादत हुस्न की क्या
हुआ जो तुमने की
भूल जाओगे बस
कुछ रोज़ में इस बात को
लरजते लबो की आरजू
दिल में छुपाये हो
भूले हो क्या अपने
अहम के ख्याल को
इतराते ख्यालों से
जो तुम मदहोश हो
बेवजह की बात है
खोलो बंद आँख को
इक रोज़ इल्म की
राह में जब तुम खड़े हो
ख्याल करना अपने
हर चुभते हर्फ़ को
लायी गर कभी जो
सच्ची भावना मन में
सोच कर उस पल के
सुखद भाव को
गिरा लेना अपने
ओहदे की दीवार को
लानत भेजो महंगे
ऐशो आराम को
रखो अरमां बनाये
तुमको नायाब जो