मन के आकाश पर शब्द पंछियों सी उड़ान भरा करते है और अपनी चहचाहट से शब्दों के मायने बढ़ा देते है जिसका ज़िक्र लिखने वाले हाथों से कहीं ज्यादा पढ़ने वाली नज़रें करती है....ऐसे ही शब्दों के पंछियों संग... कुछ मेरी बात ....
Saturday 14 September 2013
'क्षणिका'......
हिंदी पर बिंदी का नहीं अब किसी को पता पीढ़ी दर पीढ़ी बिगडती दशा .....
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