Saturday 19 October 2013


अज़ब बेचारगी देखी...

आज चलती राहों 
पर ज़िन्दगी की लाचारी देखी 
सच से बचती नज़रे देखी
देखती नज़रो से बचती 
नज़रे देखी...
पेट भर खाते पेट निकले देखे 
पेट के लिए करते 
छीनाझपटी देखी....
जमीं पर बिखरे भोज़न पर 
गडी भूखी नज़रे देखी 
वो जो खाने के शौक में 
थालियाँ भर लेते 
और फ़िगर की दुहाई दे कर 
भरी थाली कूड़े में सरकाते 
गरीब की भूख पर अमीरों के शौक की 
वाहवाही देखी...
कूड़े में छानते पेट की आग 
की तलब देखी 
आज चलती राहों
पर गुज़रती ज़िन्दगी की लाचारी देखी 
कुछ थोड़े खाने के लिए 
इंसान से इंसान की जंग देखी....

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