Wednesday 3 July 2013

मैं और भाई साथ .....



मैं और भाई साथ 
फिर रिमझिम बरसात 
अपनी कागज़ की कश्ती 
कश्ती और उन पर 
पतंगे भी हुए सवार 
दूर तक आती माँ की डाँट
भाई में भीग रही 
सुन भाई 
थोडा छाता मुझे भी बाँट 
मैं भीग गयी जो 
माँ तुम्हे बहुत डाँटेगी 
पता है फिर न लाओगे तुम साथ 
ठंडी हवा ये सुहाना मौसम 
चलो यही खेले भाई हम तुम 
अभी नहीं जाना 
मिल के खेले कुछ देर साथ 
चलेंगे माँ जब फिर आवाज़ देगी 
तब तक मज़े ले
इस बरसात के साथ

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