मन के आकाश पर शब्द पंछियों सी उड़ान भरा करते है और अपनी चहचाहट से शब्दों के मायने बढ़ा देते है जिसका ज़िक्र लिखने वाले हाथों से कहीं ज्यादा पढ़ने वाली नज़रें करती है....ऐसे ही शब्दों के पंछियों संग... कुछ मेरी बात ....
Sunday 24 November 2013
फिराक़-ए-यार के तसव्वूर को बेवजह ज़ाया न करो
बेशकीमती चीज़ है जनाब जो ख्यालों में मिला करती है……
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